रामायण आवाहन क्रम-
1. आवाहन दोहे
2. ध्याइये गणपति जगवंदन
3. पवनसुत यह विनती मोरी
पवनसुत यह विनती मोरी
खबर कर दो रघुनन्दन को, खड़े हम द्वार पे दर्शन को।
पवनसुत यह विनती मोरी, लगी रहे राम चरन डोरी।।
श्री गुरु चरण सरोज रज,निज मन मुकुर सुधारि।
वरनउं रघुवर विमल जस, जो दायक फल चारि।।
बुद्धि हीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार।
बल बुधि विद्या देहु मोहि, हरउ कलेस विकार।।
गंगा जमुना सरस्वती गोदावरी तरंग।
सकल सो तीरथ है वहां जहाँ रघुवर कथा प्रसंग।।
सिया मांडवी उर्मिला श्रुतिकीरति सुखधाम।
चार सुवन चारहु रतन तुलसी करत प्रणाम।।
तुलसी कृत रामायण कवहु मैं मति अनुसार।
कथा श्रवण के हेतु प्रभु आइये पवन कुमार।।
तुम्हरे पद वंदन करूं श्री शारदा भवानि।
विमल बुद्धि वाणी ललित दीजो यह वरदान।।
पवनसुत यह विनती मोरी, लगी रहे राम चरन डोरी।।
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