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Anjaneya Navaratna Mala Stotram in Sanskrit with Hindi Meaning

Hanuman Navaratna Mala

नवरत्नमाला अर्थात 9 रत्नों का हार (माला)।

हनुमान नवरत्न माला 9 श्लोकों का स्तोत्र है, इसका पाठ हनुमान की कृपा से नवग्रहों की शान्ति के लिए किया जाता है। 

प्रायःयह पाठ 9 रत्नों के साथ किया जाता है, लेकिन कुछ लोग बिना रत्नों के भी यह पाठ करते हैं।

Hanuman Navaratna Mala with Meaning

अथ श्रीआञ्जनेय नवरत्नमाला स्तोत्रम्

माणिक्यं –
ततो रावणनीतायाः सीतायाः शत्रुकर्शनः।
इयेष पदमन्वेष्टुं चारणाचरिते पथि ।1। 

 [यह सुन्दरकाण्ड का पहला श्लोक है, रत्न- माणिक, ग्रह- सूर्य]

तब रावण के द्वारा हरी गयी (अपहृत) सीता की खोज में शत्रुकर्शन (शत्रुओं के संहारक, हनुमान) चरण चिन्हों से बने पथ पर आगे बढ़े।

मुत्यं –
यस्य त्वेतानि चत्वारि वानरेन्द्र यथा तव।
स्मृतिर्मतिर्धृतिर्दाक्ष्यं स कर्मसु न सीदति ।2। 

[रत्न-मोती, ग्रह-चन्द्र]

हे वानर-राज! आपके पास स्मृति, मति (बुद्धि), वेग (गति) और दाक्ष (अपने कार्य में पूर्ण ध्यान) के चार गुण हैं जिससे आप कर्मों के बंधन में नहीं बंधते हैं।

प्रवालं –
अनिर्वेदः श्रियो मूलं अनिर्वेदः परं सुखम्।
अनिर्वेदो हि सततं सर्वार्थेषु प्रवर्तकः ।3। 

[रत्न-मूंगा, ग्रह-मंगल] अनिर्वेद [स्वावलंबी, जो किसी के वश में न हो, स्वयं के कार्य करने में सक्षम हो] धन [प्राप्ति] का मूल है, अनिर्वेद होना परम सुख है, अनिर्वेद होना ही सभी कार्यों को पूर्ण करता है।

मरकतं –
नमोऽस्तु रामाय सलक्ष्मणाय,
देव्यै च तस्यै जनकात्मजायै ।
नमोऽस्तु रुद्रेन्द्रयमानिलेभ्यः,
नमोऽस्तु चन्द्रार्कमरुद्गणेभ्यः।4। 

[रत्न-पन्ना, ग्रह-बुध] श्री राम को लक्ष्मण सहित नमस्कार है, उनकी जनकनंदिनी देवी को नमस्कार है। रूद्र, इंद्र, यम, और अग्नि को नमस्कार है। चन्द्र, सूर्य और मरुत (वायु) देवता को नमस्कार है।

पुष्यरागं –
प्रियान्न सम्भवेद्दुःखं अप्रियादधिकं भयम्।
ताभ्यां हि ये वियुज्यन्ते नमस्तेषां महात्मनाम्।5। 

[रत्न-पुखराज, ग्रह-बृहस्पति] इच्छाओं से दुःख संभव (उत्पन्न) होता है, घृणा से भय उत्पन्न होता है। महात्माओं को नमन करके तुम उस भय से मुक्त हो सकते हो।

हीरकं –
रामः कमलपत्राक्षः सर्वसत्त्वमनोहरः।
रूपदाक्षिण्यसम्पन्नः प्रसूतो जनकात्मजे।6।

[रत्न-हीरा, ग्रह-शुक्र ] श्री राम के कमल नयन सर्वस्व का सार और अति मनोहर हैं, वे रूप और तर्क से संपन्न हैं, जनक नंदिनी उनकी प्रसूता (साथी) हैं।

इन्द्रनीलं –
जयत्यतिबलो रामो लक्ष्मणश्च महाबलः।
राजा जयति सुग्रीवो राघवेणाभिपालितः ।
दासोऽहं कोसलेन्द्रस्य रामस्याक्लिष्टकर्मणः ।
हनुमान् शत्रुसैन्यानां निहन्ता मारुतात्मजः।7। 

[रत्न-नीलम, ग्रह-शनि] अति बल से परिपूर्ण राम की जय हो, महाबली लक्ष्मण की जय हो। श्रीराघव के द्वारा संरक्षित राजा सुग्रीव की जय हो। कोसलाधीश राम के सभी कठिन कार्यों को पूर्ण करने वाले शत्रु सेना के संहारक और मारुति के पुत्र हनुमान का मैं दास हूँ।

गोमेधिकं –
यद्यस्ति पतिशुश्रूषा यद्यस्ति चरितं तपः।
यदि वास्त्येकपत्नीत्वं शीतो भव हनूमतः।8।
 

[रत्न-गोमेद, ग्रह-राहु] यदि मैंने अपने पति की ठीक प्रकार सेवा की है, यदि मेरा चरित्र निर्मल है, यदि मैं आदर्श पत्नी हूँ, तो हनुमान शान्ति करें।

वैडूर्यं –

निवृत्तवनवासं तं त्वया सार्धमरिन्दमम्।
अभिषिक्तमयोध्यायां क्षिप्रं द्रक्ष्यसि राघवम् ।9।
 

[रत्न- वैदूर्य या लहसुनिया,  ग्रह-केतु]  आपका वनवास शीघ्र ही पूर्ण होगा, आप शीघ्र ही अपने अर्धांग (पति) से मिलेंगी। आपका अयोध्या में अभिषेक होगा, [आप] शीघ्र ही राघव के समक्ष होओगी।

।इतर श्री हनुमान् स्तोत्राणि पश्यतु। 

पाठ विधि-

ये 9 श्लोक 9 ग्रहों की शान्ति के लिए हैं, प्रत्येक श्लोक जिस ग्रह से सम्बंधित है उसका रत्न धारण करके सम्बंधित श्लोक का पाठ करने से उस ग्रह की शान्ति होती है।

Source:

Translation inspired by: P. R. Ramchander

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