Shiva is supreme consciousness, called Parabrahma. He is not bounded by
worldly bonds and he is above all the powers of this world.
Nirvana Shatakm is written by Adi Shakara Acharya. This Stotra describes that our body and material desires are very subtle part of our whole existence. There is much much more to the life and to the mind than our desires.
Nirvana means salvation and escape from the material world. Nirvana Shatakam is about separation and de-attachment or Vairagya of a devotee.
Shankaracharya writes that he considers himself not as a mind, not as a vessel made by five elements but only the eternal (not ending) bliss named Shiva.
When chanting or listening this mantra, it is best that you keep yourself in
peaceful environment and focus your mind into Shiva.
Hindi and English Lyrics (meaning- given after the Stotra)
।अथ निर्वाण षटकम्।
मनो बुद्ध्यहंकार-चित्तानि नाहम् न च श्रोत्र जिह्वे न च घ्राण नेत्रे।
न च व्योम भूमिर्न तेजॊ न वायु: चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवॊऽहम्।1।
English- Mano buddhya- ahankara chittaani naaham,
Na cha shrotra
Jihve na cha graana netre.
Na cha vyoma bhoomirna tejo na vaayuh,
Chindananda
roopah shivoham shivoham.1
न च प्राण संज्ञो न वै पञ्चवायु: न वा सप्तधातुर् न वा पञ्चकोश:।
न वाक्पाणि-पादौ न चोपस्थपायू चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवॊऽहम्।2।
Na cha praana sangyo na vai pancha vaayuh,
na vaa saptasaadhur-na
vaa pancha koshah.
Na vaakpaani paadau na chopastha paayuh,
Chindananda
roopah shivoham shivoham.2
न मे द्वेष रागौ न मे लोभ मोहौ मदो नैव मे नैव मात्सर्य भाव:।
न धर्मो न चार्थो न कामो न मोक्ष: चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवॊऽहम्।3।
Na me dwesha raagau na me lobha mohau,
Mado naiva me naiva maatsarya
bhaavah.
Na dharmo na chaartho na kaamo na mokshah,
Chindananda
roopah shivoham shivoham.3
न पुण्यम् न पापम् न सौख्यम् न दु:खम् न मन्त्रो न तीर्थं न वेदा: न यज्ञा:।
अहं भोजनं नैव भोज्यं न भोक्ता चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवॊऽहम्।4।
Na punyam na paapam na Saukhyam na Duhkham,
Na mantro na teertham
na vedaah na Yajnaah (Yagyaah).
Aham Bhojanam naiva bhojyam na
bhoktaa,
Chindananda roopah shivoham shivoham.4
न मृत्युर् न शंका न मे जातिभेद: पिता नैव मे नैव माता न जन्म।
न बन्धुर् न मित्रं गुरुर्नैव शिष्य: चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवॊऽहम्।5।
Na mrityur na shanka na me jaatibhedah,
Pita naiva me naiva mata na
janma.
Na bandhur-na mitram gururnaiva shishyah,
Chindananda roopah
shivoham shivoham.5
अहं निर्विकल्पॊ निराकार रूपॊ विभुत्वाच्च सर्वत्र सर्वेन्द्रियाणाम्
न
चासंगतं नैव मुक्तिर् न मेय: चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवॊऽहम्।6।
Aham nirvikalpo nirakar roopo,
Vibhutvaaccha sarvatra
Sarvendriyanam.
Na cha sangatan naiva muktir na meyah,
Chindananda
roopah shivoham shivoham.6
।इति आदि शङ्कराचार्य रचितं निर्वाण षटकं संपूर्णम्।
Nirvana Shatakam Meaning in Hindi-
1- मैं मन नहीं हूँ, बुद्धि नहीं हूँ, अहंकार नहीं हूँ, चित्त नहीं हूँ। मैं कान नहीं हूँ, न जीभ हूँ, न नाक (नासिका) और न नेत्र हूँ। मैं आकाश नहीं हूँ, न धरती हूँ, न अग्नि हूँ, न ही वायु हूँ। मन में जो परमानन्द है, मैं वही परमानंद हूँ, मैं अनादि, अनंत शिव हूँ।
2- मैं न ही प्राण हूँ, न ही पंचवायु हूँ, न मैं सप्तधातु हूँ [अर्थात- मैं सप्तधातु के सामान गुणी नहीं हूँ] और न ही पंचकोश (शरीर की पांच परतें जो आत्मन या आत्मा को ढके रखते हैं) हूँ। न मैं वाणी हूँ,न हाथ-पैर न ही उत्सर्जन की इन्द्रियां हूँ, मन में जो परमानन्द है, मैं वही परमानंद हूँ, मैं अनादि, अनंत शिव हूँ।
3- [बाहरी संसार के लिए] न मुझमे राग (प्रेम) है, न द्वेष है, न लोभ है और न मोह है। न ही मुझमें मद (अहंकार) है, न ही ईर्ष्या का भाव है। न ही मुझमें धर्म में, न धन में, न काम भावना (विलास) और न ही मोक्ष में रूचि है, मन में जो परमानन्द है, मैं वही परमानंद हूँ, मैं अनादि, अनंत शिव हूँ।
4- न मुझे पुण्य में रूचि है, न पाप में, न सुख में और न ही दुःख में मेरा मन है। न मंत्र में, न तीर्थ में, न वेदों में और न ही यज्ञों में मेरी रूचि है। न मैं भोजन (भोगने के वास्तु) हूँ, न ही मैं भोगने के लायक हूँ और न ही मैं भोगी (विलासी) हूँ, मन में जो परमानन्द है, मैं वही परमानंद हूँ, मैं अनादि, अनंत शिव हूँ।
5- न मुझे मृत्यु का भय है, न ही कोई शंका (मन में प्रश्न) है और न ही जाति भेद का कोई डर है। न मेरा कोई पिता है न कोई माता है, न ही मेरा कोई जन्म हुआ है। न मेरा कोई भाई-बंधू है, न मित्र है, न ही कोई मेरा गुरु न ही कोई शिष्य है, मन में जो परमानन्द है, मैं वही परमानंद हूँ, मैं अनादि, अनंत शिव हूँ।
6- मैं निर्विकल्प हूँ, मेरा रूप निराकार है और मैं विभुव (चैतन्य) के रूप में
सभी जगह व्याप्त हूँ, सभी इन्द्रियों में व्याप्त हूँ, न ही मैं किसी वस्तु से
बंधा हूँ और ना ही उस वस्तु से मुक्त हूँ, मन में जो परमानन्द है, मैं वही
परमानंद हूँ, मैं अनादि, अनंत शिव हूँ।
Nirvana Shatakam benefits-
1. This mantra is chanted in order to attain peace of mind and relaxation from stress and anxiety.
2. Because this mantra is about Vairagya or detachment from the world, it is better if you know the meaning of each verse so you can literally feel what you are chanting.
Some questions about Nirvana Shatakam-
1. Who can recite this Stotra?
Any man, woman or child can recite this stotra at any suitable time. But please try to be in quite environment and keep mind focused in Shiva when chanting.
2. Can Nirvana Shatakm be chanted during pregnency?
Yes, any pregnent woman should chant this Mantra to relax his mind. Doing this will have positive effects on newborn.
3. Is there any harm if chant it wrong?
This mantra is neither a part of Veda nor any Tanrik worship. So, Nirvana Shatakm is not harmful at all if you chant it wrong. But if you feel unsure about it, you can only listen to it (on YouTube). Listening this mantra is also helpful.
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Questions -
Why does Hinduism allow eating meat?
What are Ashta Siddhi and Navnidhi?
thanks
ReplyDeleteThe world 'Chidanand' does not mean the bliss within the mind as translated above. In fact, "Chidanand" refers to the blissful soul (consciousness) which exists beyond every thing and every thing exists within it.
ReplyDeleteMera hona na hona vishesh nhi mein ek param anand hu
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