।ॐ।
श्री राम सौमित्रिजतायुवेद षडाननादित्य कुजार्चिताय।
श्री नीलकण्ठाय दयामयाय श्री वैद्यनाथाय नमः शिवाय।1।
गङ्गा प्रवाहेन्दु जटाधराय त्रिलोचनाय स्मरकालहन्त्रे।
समस्त देवैरभिपूजिताय श्री वैद्यनाथाय नमः शिवाय।2।
भक्तः प्रियाय त्रिपुरान्तकाय पिनाकिने दुष्टहराय नित्यम्।
प्रत्यक्ष लीलाय मनुष्यलोके श्री वैद्यनाथाय नमः शिवाय ।3।
प्रभूतवातादि समस्तरोग प्रनाशकत्रे मुनिवन्दिताय।
प्रभाकरेन्द्वग्निविलोचनाय श्री वैद्यनाथाय नमः शिवाय ।4।
वाक्श्रोत्र नेत्राङ्घ्रि विहीनजन्तोः वाक्श्रोत्रनेत्राङ्घ्रि सुखप्रदाय ।
कुष्ठादिसर्वोन्नतरोगहन्त्रे श्री वैद्यनाथाय नमः शिवाय ।5।
वेदान्तवेद्याय जगन्मयाय योगीश्वरद्येय पदाम्बुजाय ।
त्रिमुर्तिरूपाय सहस्र नाम्ने श्री वैद्यनाथाय नमः शिवाय ।6।
स्वतीर्थमृद् भस्म्भृतान्ग भाजां पिशाच दुखार्थि भयापहाय।
आत्मस्वरूपाय शरीर भाजां श्री वैद्यनाथाय नमः शिवाय।7।
श्री नीलकण्ठाय वृषध्वजाय स्रवगन्ध भस्माद्यपि शोभिताय।
सुपुत्रदारादि सुभाग्यदाय श्री वैद्यनाथाय नमः शिवाय ।8।
फलस्तुतिः-
वालाम्बिकेश वैद्येश भवरोगहरेति च ।
जपेन्नामत्रयं नित्यं महारोगनिवारणम् ।।
। इति श्री वैद्यनाथाष्टकम सम्पूर्णं ।
वैद्यनाथ अष्टकम हिंदी Lyrics अर्थ -
१- जो श्री राम, लक्ष्मण के द्वारा पूजे जाते हैं, जो जटायु के द्वारा पूजे जाते हैं, जो वेदों के पूज्य हैं, जो भगवान् सुब्रमण्यम के द्वारा पूज्य हैं, जो सूर्य और मंगल ग्रहों के द्वारा पूज्य हैं, जिनका गला नीला है और जो दयाभाव से परिपूर्ण हैं, वैद्यों के नाथ उन भगवान् शिव को नमस्कार है।
२- जो गंगा का प्रवाह और चन्द्रमा को अपनी जटाओं में धारण करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं और जो काल (समय) और कामदेव (प्रेम के देवता) के हन्ता (नष्ट करने वाले) हैं, सभी देवों के पूज्य और सभी वैद्यों के स्वामी उन भगवान् शिव को नमस्कार है।
३- जो अपने भक्तों के प्रिय हैं, जिन्होंने त्रिपुरासुर दैत्य का वध किया था, जो 'पिनाक' नामक धनुष धारण करते हैं, जो मनुष्यों के बीच बुराइयों का नाश करते हैं, वैद्यों के स्वामी (वैद्यनाथ) उन भगवान् शिव को नमस्कार है।
४- जो सभी रोगों का नाश करते हैं, जो संक्रमण को दूर करते हैं, जो ऋषि-मुनियों द्वारा पूजे जाते हैं और जिनके लिए सूर्य, चन्द्र और अग्नि तीन नेत्रों के समान हैं, उन वैद्यनाथ भगवान् शिव को नमस्कार है।
५- जो भगवान्उन लोगों को बोलने, सुनने और देखने का सुख प्रदान करते हैं जिनके पास बोलने सुनने और देखने की शक्ति नहीं होती, कुष्ठ रोगों जैसी विनाशकारी बिमारियों को दूर करने वाले उन वैद्यनाथ भगवान् शिव को नमस्कार है।
६- जिन्हें वेदान्त (उपनिषद्) के द्वारा जाना जा सकता है, जो सारे जगत में व्याप्त हैं, योगियों के द्वारा जिनके पड़ कमल पूजे जाते हैं, जो भगवान् विष्णु. ब्रह्मा और शिव के त्रिमूर्ति रूप हैं और जिनके सहस्रों (हजारों) नाम हैं, उन वैद्यानाथ भगवान् शिव को नमस्कार है।
७- जो अपने श्मशान की राख के स्पर्श से पिशाचों के दिए गये कष्टों, दुखों और भय को दूर करते हैं, जो आत्म स्वरुप हैं और मानव शारीर धारण किये हैं, उन वैद्यानाथ भगवान् शिव को नमस्कार है।
८- जिन भगवान का गला नीला है, जिनके ध्वज पर बैल बना हुआ है, जो पुष्प, चन्दन और भस्म से सुशोभित हैं, जो सुलक्षणा पत्नी और सुपुत्र का वर देते हैं और जो सभी को सौभाग्य प्रदान करते हैं, उन वैद्यनाथ भगवान् शिव को नमस्कार है।
फलस्तुति- जो इस मन्त्र (वैद्यनाथ अष्टक) का नित्य प्रतिदिन तीन बार पाठ करके भगवान् वैद्यनाथ और उनकी पत्नी बलाम्बिका का वंदन करता है वह सभी रोगों से मुक्ति पाकर जन्म और मृत्यु के भय से मुक्त हो जाता है।
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